वायुकायिक: Difference between revisions
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<p> स्थावर जीवों का एक भेद । इस जाति के जीवों की सात लाख कुयोनियाँ तथा इतनी ही कुलकौटियाँ होती हैं । इनकी उत्कृष्ट आयु तीन हजार वर्ष की होती है । ये जीव अनेक घात-प्रतिघात सहते हुए संसार में भ्रमते हैं । महापुराण 17.22-23, हरिवंशपुराण 18.57-59, 65</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> स्थावर जीवों का एक भेद । इस जाति के जीवों की सात लाख कुयोनियाँ तथा इतनी ही कुलकौटियाँ होती हैं । इनकी उत्कृष्ट आयु तीन हजार वर्ष की होती है । ये जीव अनेक घात-प्रतिघात सहते हुए संसार में भ्रमते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 17.22-23, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_18#57|हरिवंशपुराण - 18.57-59]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_18#65|हरिवंशपुराण - 18.65]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
स्थावर जीवों का एक भेद । इस जाति के जीवों की सात लाख कुयोनियाँ तथा इतनी ही कुलकौटियाँ होती हैं । इनकी उत्कृष्ट आयु तीन हजार वर्ष की होती है । ये जीव अनेक घात-प्रतिघात सहते हुए संसार में भ्रमते हैं । महापुराण 17.22-23, हरिवंशपुराण - 18.57-59,हरिवंशपुराण - 18.65