विघ्न: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(8 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
<p> सर्वार्थसिद्धि/6/27/341/1 <span class="SanskritText">तेषां विहननं विघ्नः।</span> = <span class="HindiText">उनका अर्थात् दान, लाभ, भोग, उपभोग व वीर्य का नाश करना विघ्न है। ( राजवार्तिक/6/27/1/531/29 )। </span></p> | == सिद्धांतकोष से == | ||
<p><span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/6/27/341/1 </span><span class="SanskritText">तेषां विहननं विघ्नः।</span> = <span class="HindiText">उनका अर्थात् दान, लाभ, भोग, उपभोग व वीर्य का नाश करना विघ्न है। <span class="GRef">( राजवार्तिक/6/27/1/531/29 )</span>। </span></p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) रावण का पक्षधर एक योद्धा । राम के पक्षधर राजा विराधित ने इसका सामना किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 62.36 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) रावण का पक्षधर एक योद्धा । राम के पक्षधर राजा विराधित ने इसका सामना किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_62#36|पद्मपुराण - 62.36]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) ज्ञानावरण और दर्शनावरण कर्मों का एक आस्रव । इससे ज्ञान और दर्शन में | <p id="2" class="HindiText">(2) ज्ञानावरण और दर्शनावरण कर्मों का एक आस्रव । इससे ज्ञान और दर्शन में अंतराय आता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_58#92|पद्मपुराण - 58.92]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 24: | Line 25: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] | |||
[[Category: प्रथमानुयोग]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/6/27/341/1 तेषां विहननं विघ्नः। = उनका अर्थात् दान, लाभ, भोग, उपभोग व वीर्य का नाश करना विघ्न है। ( राजवार्तिक/6/27/1/531/29 )।
पुराणकोष से
(1) रावण का पक्षधर एक योद्धा । राम के पक्षधर राजा विराधित ने इसका सामना किया था । पद्मपुराण - 62.36
(2) ज्ञानावरण और दर्शनावरण कर्मों का एक आस्रव । इससे ज्ञान और दर्शन में अंतराय आता है । पद्मपुराण - 58.92