शीलव्रतेश्वनतिचार: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> तीर्थंकर प्रकृति में कारणभूत सोलह कारण-भावनाओं में तीसरी भावना । शीलव्रतों को निरतिचार धारण करना शीलव्रतेष्वनतिचार-भावना कहलाती है । <span class="GRef"> महापुराण 63.322, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.134 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तीर्थंकर प्रकृति में कारणभूत सोलह कारण-भावनाओं में तीसरी भावना । शीलव्रतों को निरतिचार धारण करना शीलव्रतेष्वनतिचार-भावना कहलाती है । <span class="GRef"> महापुराण 63.322, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#134|हरिवंशपुराण - 34.134]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
तीर्थंकर प्रकृति में कारणभूत सोलह कारण-भावनाओं में तीसरी भावना । शीलव्रतों को निरतिचार धारण करना शीलव्रतेष्वनतिचार-भावना कहलाती है । महापुराण 63.322, हरिवंशपुराण - 34.134