श्रीप्रभ: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) जंबूद्वीप में भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का नौवां नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19.40, 53 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) जंबूद्वीप में भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का नौवां नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19.40, 53 </span></p> | ||
<p id="2">(2) ऐशान स्वर्ग का एक विमान । वज्रजंघ का जीव इसी विमान में देव हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 9.109 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) ऐशान स्वर्ग का एक विमान । वज्रजंघ का जीव इसी विमान में देव हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 9.109 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक पर्वत । श्रीधर देव ने स्वर्ग से इस पर्वत पर आकर पूर्वभव के गुरु प्रीतिंकर की पूजा की थी । वज्रनाभि ने यहाँ सन्यास धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 10.1-3, 11.94 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) एक पर्वत । श्रीधर देव ने स्वर्ग से इस पर्वत पर आकर पूर्वभव के गुरु प्रीतिंकर की पूजा की थी । वज्रनाभि ने यहाँ सन्यास धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 10.1-3, 11.94 </span></p> | ||
<p id="4">(4) एक मुनि । राजा श्रीवर्मा ने इन्हीं से दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 54.81 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) एक मुनि । राजा श्रीवर्मा ने इन्हीं से दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 54.81 </span></p> | ||
<p id="5">(5) सौधर्म स्वर्ग का एक विमान । राजा श्रीवर्मा का जीव इसी विमान में श्रीधर नाम का देव हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 54.79-82 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) सौधर्म स्वर्ग का एक विमान । राजा श्रीवर्मा का जीव इसी विमान में श्रीधर नाम का देव हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 54.79-82 </span></p> | ||
<p id="6">(6) राजा श्रीषेण का जीव-सौधर्म स्वर्ग का एक देव । <span class="GRef"> महापुराण 62. 365 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) राजा श्रीषेण का जीव-सौधर्म स्वर्ग का एक देव । <span class="GRef"> महापुराण 62. 365 </span></p> | ||
<p id="7">(7) पुष्करवर समुद्र का रक्षक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.640 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) पुष्करवर समुद्र का रक्षक देव । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#640|हरिवंशपुराण - 5.640]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) सहस्रार स्वर्ग का एक विमान । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.67-68 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) सहस्रार स्वर्ग का एक विमान । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_27#67|हरिवंशपुराण - 27.67-68]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर - देखें विद्याधर ;
- दक्षिण पुष्कर समुद्र का रक्षक व्यंतर देव - देखें व्यंतर - 4।
पुराणकोष से
(1) जंबूद्वीप में भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का नौवां नगर । महापुराण 19.40, 53
(2) ऐशान स्वर्ग का एक विमान । वज्रजंघ का जीव इसी विमान में देव हुआ था । महापुराण 9.109
(3) एक पर्वत । श्रीधर देव ने स्वर्ग से इस पर्वत पर आकर पूर्वभव के गुरु प्रीतिंकर की पूजा की थी । वज्रनाभि ने यहाँ सन्यास धारण किया था । महापुराण 10.1-3, 11.94
(4) एक मुनि । राजा श्रीवर्मा ने इन्हीं से दीक्षा ली थी । महापुराण 54.81
(5) सौधर्म स्वर्ग का एक विमान । राजा श्रीवर्मा का जीव इसी विमान में श्रीधर नाम का देव हुआ था । महापुराण 54.79-82
(6) राजा श्रीषेण का जीव-सौधर्म स्वर्ग का एक देव । महापुराण 62. 365
(7) पुष्करवर समुद्र का रक्षक देव । हरिवंशपुराण - 5.640
(8) सहस्रार स्वर्ग का एक विमान । हरिवंशपुराण - 27.67-68