सम्यक्त्वक्रिया: Difference between revisions
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<p> सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में प्रथम क्रिया । शास्त्र, अर्हंतदेव-प्रतिमा तथा सच्चे गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना सम्यक्त्वक्रिया है । इससे सम्यक्त्व की उपलब्धि और पुण्यबंध होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.61 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में प्रथम क्रिया । शास्त्र, अर्हंतदेव-प्रतिमा तथा सच्चे गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना सम्यक्त्वक्रिया है । इससे सम्यक्त्व की उपलब्धि और पुण्यबंध होता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#61|हरिवंशपुराण - 58.61]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में प्रथम क्रिया । शास्त्र, अर्हंतदेव-प्रतिमा तथा सच्चे गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना सम्यक्त्वक्रिया है । इससे सम्यक्त्व की उपलब्धि और पुण्यबंध होता है । हरिवंशपुराण - 58.61