सुराष्ट्र: Difference between revisions
From जैनकोष
Komaljain7 (talk | contribs) mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 2: | Line 2: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<ol class="HindiText"> | <ol class="HindiText"> | ||
<li>मालवा का पश्चिम प्रदेश, सुराष्ट्र या सौराष्ट्र या काठियावाड़ कहते हैं। | <li>मालवा का पश्चिम प्रदेश, सुराष्ट्र या सौराष्ट्र या काठियावाड़ कहते हैं। <span class="GRef">( महापुराण/ प्र.49 पन्नालाल)</span>। | ||
</li> | </li> | ||
<li>भरतक्षेत्रस्थ पश्चिम आर्यखंड का एक देश। अपर नाम सोरठ-देखें [[ सोरठ ]]।</li> | <li>भरतक्षेत्रस्थ पश्चिम आर्यखंड का एक देश। अपर नाम सोरठ-देखें [[ सोरठ ]]।</li> | ||
Line 17: | Line 17: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> भरतक्षेत्र के पश्चिम आर्यखंड का तीर्थंकर वृषभदेव के समय में इंद्र द्वारा निर्मित एक देश । राष्ट्रवर्धन इसी देश का एक प्रमुख नगर था । <span class="GRef"> महापुराण 16. 154, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11.72, 44.26, 59.110 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> भरतक्षेत्र के पश्चिम आर्यखंड का तीर्थंकर वृषभदेव के समय में इंद्र द्वारा निर्मित एक देश । राष्ट्रवर्धन इसी देश का एक प्रमुख नगर था । <span class="GRef"> महापुराण 16. 154, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#72|हरिवंशपुराण - 11.72]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#44|हरिवंशपुराण - 11.44]].26, 59.110 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 29: | Line 29: | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] | [[Category: करणानुयोग]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- मालवा का पश्चिम प्रदेश, सुराष्ट्र या सौराष्ट्र या काठियावाड़ कहते हैं। ( महापुराण/ प्र.49 पन्नालाल)।
- भरतक्षेत्रस्थ पश्चिम आर्यखंड का एक देश। अपर नाम सोरठ-देखें सोरठ ।
पुराणकोष से
भरतक्षेत्र के पश्चिम आर्यखंड का तीर्थंकर वृषभदेव के समय में इंद्र द्वारा निर्मित एक देश । राष्ट्रवर्धन इसी देश का एक प्रमुख नगर था । महापुराण 16. 154, हरिवंशपुराण - 11.72,हरिवंशपुराण - 11.44.26, 59.110