सौदास: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="GRef"> पद्मपुराण/22/ श्लोक - </span> | |||
<div class="HindiText"> इक्ष्वाकुवंशी नघुष का पुत्र था ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#131|131]]) नरमांसभक्षी होने के कारण राज्य से च्युत कर दिया गया ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#144|144]])। देवयोग से महापुर नगर का राज्य प्राप्त हुआ। इसके अनंतर युद्ध में अपने पुत्र को जीत लिया। अंत में दीक्षित हो गया ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#148|148-152]])। | |||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:39, 28 November 2023
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/22/ श्लोक -
इक्ष्वाकुवंशी नघुष का पुत्र था (131) नरमांसभक्षी होने के कारण राज्य से च्युत कर दिया गया (144)। देवयोग से महापुर नगर का राज्य प्राप्त हुआ। इसके अनंतर युद्ध में अपने पुत्र को जीत लिया। अंत में दीक्षित हो गया (148-152)।
पुराणकोष से
(1) अयोध्या के राजा नधुष तथा सिंहिका रानी का पुत्र । राजा समस्त शत्रुओं को वश में कर लेने के कारण सुदास कहलाता था तथा राजा का पुत्र होने के कारण यह इस नाम से प्रसिद्ध हुआ था । नरमांसभक्षी हो जाने के कारण इसे राज्य से निकालकर इसकी रानी कनकाभा में उत्पन्न पुत्र सिंहरथ को राजा बनाया गया था । राज्य से निकाले जाने के कारण यह दक्षिण की ओर गया । वहाँ दिगंबर मुनि से धर्म श्रवण करके इसने अणुव्रत धारण किये । सौभाग्य से इसे महापुर का राज्य प्राप्त हो गया था । इसने अंत में पुत्र से युद्ध किया तथा उसे पराजित करके पुन: राजा बनाकर यह तपोवन चला गया था । हरिवंशपुराण के अनुसार यह कलिंग देश के कांचनपुर नगर के राजा जितशत्रु का पुत्र था । मनुष्यों के बच्चों को भी खाने लगने से यह वसुदेव द्वारा मारा गया था । पद्मपुराण - 22.114-115, 131, 144-152, हरिवंशपुराण - 24.11-23