दिति: Difference between revisions
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<p id="2">(2) धरणेंद्र की देवी । इसने नमि-विनमि को मातंग, पांडुक, काल, स्वपाक, पर्वत, वंशालय, पांशुमूल और वृक्षमूल ये आठ विद्यानिकाय दिये थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.54, 59-60 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) धरणेंद्र की देवी । इसने नमि-विनमि को मातंग, पांडुक, काल, स्वपाक, पर्वत, वंशालय, पांशुमूल और वृक्षमूल ये आठ विद्यानिकाय दिये थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#54|हरिवंशपुराण - 22.54]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#59|हरिवंशपुराण - 22.59]]-60 </span></p> | ||
<p id="3">(3) धारणयुग्म नगर के सूर्यवंशी राजा अयोधन की महारानी । यह चंद्रवंशी राजा तृणबिंदु की छोटी बहिन थी । सुलसा इसी की पुत्री थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 23.47-48 </span>देखें [[ सुलसा ]]</p> | <p id="3" class="HindiText">(3) धारणयुग्म नगर के सूर्यवंशी राजा अयोधन की महारानी । यह चंद्रवंशी राजा तृणबिंदु की छोटी बहिन थी । सुलसा इसी की पुत्री थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_23#47|हरिवंशपुराण - 23.47-48]] </span>देखें [[ सुलसा ]]</p> | ||
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(1) ऐरावत क्षेत्र का एक नगर । पद्मपुराण - 106.187
(2) धरणेंद्र की देवी । इसने नमि-विनमि को मातंग, पांडुक, काल, स्वपाक, पर्वत, वंशालय, पांशुमूल और वृक्षमूल ये आठ विद्यानिकाय दिये थे । हरिवंशपुराण - 22.54,हरिवंशपुराण - 22.59-60
(3) धारणयुग्म नगर के सूर्यवंशी राजा अयोधन की महारानी । यह चंद्रवंशी राजा तृणबिंदु की छोटी बहिन थी । सुलसा इसी की पुत्री थी । हरिवंशपुराण - 23.47-48 देखें सुलसा