दीक्षान्वयक्रिया: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
(3 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> गर्भावतार से लेकर निर्वाण पर्यंत मोक्ष प्राप्ति में सहायक क्रियाएँ । ये | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> गर्भावतार से लेकर निर्वाण पर्यंत मोक्ष प्राप्ति में सहायक क्रियाएँ । ये अड़तालीस होती हैं― अवतार, वृत्त, लाभ स्थानलाभ, गणग्रह, पूजाराध्य, पुण्य-यज्ञ, दृढ़चर्या और उपयोगिता इन आठ क्रियाओं के अतिरिक्त गर्भान्वयी उपनीति नाम की चौदहवीं क्रिया से अग्रनिर्वृत्ति क्रिया पर्यंत क्रियाएँ । जो भव्य इन क्रियाओं का ज्ञान करके उनका पालन करता है वह निर्वाण पाता है । <span class="GRef"> महापुराण 29.5,38-51-52, 64-65, 39.80, 63. 300, 304 </span>देखें [[ गर्भान्वय ]]</p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: द]] | [[Category: द]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 14:37, 20 December 2023
गर्भावतार से लेकर निर्वाण पर्यंत मोक्ष प्राप्ति में सहायक क्रियाएँ । ये अड़तालीस होती हैं― अवतार, वृत्त, लाभ स्थानलाभ, गणग्रह, पूजाराध्य, पुण्य-यज्ञ, दृढ़चर्या और उपयोगिता इन आठ क्रियाओं के अतिरिक्त गर्भान्वयी उपनीति नाम की चौदहवीं क्रिया से अग्रनिर्वृत्ति क्रिया पर्यंत क्रियाएँ । जो भव्य इन क्रियाओं का ज्ञान करके उनका पालन करता है वह निर्वाण पाता है । महापुराण 29.5,38-51-52, 64-65, 39.80, 63. 300, 304 देखें गर्भान्वय