जुंभक: Difference between revisions
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<p id="1">(1) इस जाति का एक देव । पूर्वभव के स्नेहवश इसने नारद का वैताढ्य पर्वत की मणिकांचन गुहा में दिव्य आहार से पालन किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 11. 151-158, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 42.16-18 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) इस जाति का एक देव । पूर्वभव के स्नेहवश इसने नारद का वैताढ्य पर्वत की मणिकांचन गुहा में दिव्य आहार से पालन किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_11#151|पद्मपुराण - 11.151-158]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_42#16|हरिवंशपुराण - 42.16-18]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) देवों की एक जाति । इस जाति के देव बलदेव के पुत्रों तथा अन्य चरमशरीरियों को | <p id="2" class="HindiText">(2) देवों की एक जाति । इस जाति के देव बलदेव के पुत्रों तथा अन्य चरमशरीरियों को जिनेंद्र के पास ले गये थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_61#92|हरिवंशपुराण - 61.92]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 18:02, 15 February 2024
(1) इस जाति का एक देव । पूर्वभव के स्नेहवश इसने नारद का वैताढ्य पर्वत की मणिकांचन गुहा में दिव्य आहार से पालन किया था । पद्मपुराण - 11.151-158, हरिवंशपुराण - 42.16-18
(2) देवों की एक जाति । इस जाति के देव बलदेव के पुत्रों तथा अन्य चरमशरीरियों को जिनेंद्र के पास ले गये थे । हरिवंशपुराण - 61.92