हिमवान्: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol> | <ol> | ||
<li> | <li> | ||
<span class="GRef"> राजवार्तिक/3/11/1/182/6 </span> <span class="SanskritText">हिममस्यास्तीति हिमवानिति व्यपदेश:। अन्यत्रापि तत्संबंध इति चेत् । रूढिविशेषबललाभात्तत्रैव वृत्ति:।</span> =<span class="HindiText">(भरत क्षेत्र के उत्तर में स्थित पूर्वापर लंबायमान वर्षधर पर्वत है। अपर नाम पंचशिखरी है।) हिम जिसमें पाया जाय सो हिमवान् । चूँकि सभी पर्वतों में हिम पाया जाता है अत: रूढ़ि से ही इसकी हिमवान् संज्ञा समझनी चाहिए। </span></li> | |||
<li> | <li> | ||
<span class="HindiText">हिमवान् पर्वत का अवस्थान व विस्तारादि। - देखें [[ | <span class="HindiText">हिमवान् पर्वत का अवस्थान व विस्तारादि। - देखें [[ जंबूद्वीप_निर्देश#3.4 | जंबूद्वीप निर्देश - 3.4]]। </span></li> | ||
<li> | <li> | ||
<span class="HindiText">हिमवान् पर्वतस्थ कूट व उसका स्वामी देव। - देखें [[ | <span class="HindiText">हिमवान् पर्वतस्थ कूट व उसका स्वामी देव। - देखें [[ द्वीप_पर्वतों_आदि_के_नाम_रस_आदि#5.5 | द्वीप पर्वतों आदि के नाम रस आदि - 5.5]]। </span></li> | ||
<li> | <li> | ||
<span class="HindiText">पद्मह्रद के वन में स्थित एक कूट - देखें [[ | <span class="HindiText">पद्मह्रद के वन में स्थित एक कूट - देखें [[ द्वीप_पर्वतों_आदि_के_नाम_रस_आदि#5.7 | द्वीप पर्वतों आदि के नाम रस आदि - 5.7]]।</span></li> | ||
</ol> | </ol> | ||
Line 17: | Line 17: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: ह]] | [[Category: ह]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 20:01, 16 February 2024
- राजवार्तिक/3/11/1/182/6 हिममस्यास्तीति हिमवानिति व्यपदेश:। अन्यत्रापि तत्संबंध इति चेत् । रूढिविशेषबललाभात्तत्रैव वृत्ति:। =(भरत क्षेत्र के उत्तर में स्थित पूर्वापर लंबायमान वर्षधर पर्वत है। अपर नाम पंचशिखरी है।) हिम जिसमें पाया जाय सो हिमवान् । चूँकि सभी पर्वतों में हिम पाया जाता है अत: रूढ़ि से ही इसकी हिमवान् संज्ञा समझनी चाहिए।
- हिमवान् पर्वत का अवस्थान व विस्तारादि। - देखें जंबूद्वीप निर्देश - 3.4।
- हिमवान् पर्वतस्थ कूट व उसका स्वामी देव। - देखें द्वीप पर्वतों आदि के नाम रस आदि - 5.5।
- पद्मह्रद के वन में स्थित एक कूट - देखें द्वीप पर्वतों आदि के नाम रस आदि - 5.7।