सम्यक्त्व लब्धि: Difference between revisions
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<span class="GRef"> धवला 1/1,1,1/गाथा 58/64 </span> <span class="PrakritGatha">दाणे लाभे भोगे परिभोगे वीरिए य '''सम्मत्ते'''। णव केवल-लद्धीओ दंसण-णाणं चरित्ते य।58।</span> = <span class="HindiText">दान, लाभ, भोग, परिभोग, वीर्य, '''सम्यक्त्व''', दर्शन, ज्ञान और चारित्र ये नव केवललब्धियाँ समझना चाहिए।58। </span><br | |||
<span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ लब्धि#1.3 | लब्धि - 1.3]]।</span> | |||
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Latest revision as of 11:06, 20 February 2024
धवला 1/1,1,1/गाथा 58/64 दाणे लाभे भोगे परिभोगे वीरिए य सम्मत्ते। णव केवल-लद्धीओ दंसण-णाणं चरित्ते य।58। = दान, लाभ, भोग, परिभोग, वीर्य, सम्यक्त्व, दर्शन, ज्ञान और चारित्र ये नव केवललब्धियाँ समझना चाहिए।58। <br
अधिक जानकारी के लिये देखें लब्धि - 1.3।