सांतरबंधी प्रकृति: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> (धवला 8/3, 6/17/8) </span><span class="PrakritText">जिस्से पयडीए पच्चओ णियमेण सादि अद्धुओ अंतोमुहुत्तादिकालावट्ठाई सा णिरंतरबंधपयडी। जिस्से पयडीए अद्धाक्खएण बंधवोच्छेदो संभवइ सा सांतरबंधपयडी।</span> | |||
<span class="HindiText">= जिस प्रकृति का प्रत्यय नियम से सादि एवं अध्रुव तथा अंतर्मुहूर्त आदि काल तक अवस्थित रहने वाला है, वह निरंतर-बंधी प्रकृति है। जिस प्रकृति का कालक्षय से बंध-व्युच्छेद संभव है वह '''सांतरबंधी प्रकृति''' है।</span></p> | |||
<p><span class="GRef"> (गोम्मटसार कर्मकांड/भाषा/406-407/570/17)</span> <br><span class="HindiText">जैसे — अन्य गति का जहाँ बंध पाइये तहां तौ देवगति सप्रतिपक्षी है सो तहाँ कोई समय देव गति का बंध होई, कोइ समय अन्य गति का बंध होई तातै <strong>सांतरबंधी</strong> है। जहाँ अन्य गति का बंध नाहीं केवल देवगति का बंध है तहाँ देवगति निष्प्रतिपक्षी है सो तहाँ समय समय प्रति देवगति का बंध पाइए तातै निरंतर-बंधी है। तातै देवगति उभयबंधी है।</span></p> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ प्रकृति बंध#2 | प्रकृति बंध - 2]]।</p> | |||
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(धवला 8/3, 6/17/8) जिस्से पयडीए पच्चओ णियमेण सादि अद्धुओ अंतोमुहुत्तादिकालावट्ठाई सा णिरंतरबंधपयडी। जिस्से पयडीए अद्धाक्खएण बंधवोच्छेदो संभवइ सा सांतरबंधपयडी। = जिस प्रकृति का प्रत्यय नियम से सादि एवं अध्रुव तथा अंतर्मुहूर्त आदि काल तक अवस्थित रहने वाला है, वह निरंतर-बंधी प्रकृति है। जिस प्रकृति का कालक्षय से बंध-व्युच्छेद संभव है वह सांतरबंधी प्रकृति है।
(गोम्मटसार कर्मकांड/भाषा/406-407/570/17)
जैसे — अन्य गति का जहाँ बंध पाइये तहां तौ देवगति सप्रतिपक्षी है सो तहाँ कोई समय देव गति का बंध होई, कोइ समय अन्य गति का बंध होई तातै सांतरबंधी है। जहाँ अन्य गति का बंध नाहीं केवल देवगति का बंध है तहाँ देवगति निष्प्रतिपक्षी है सो तहाँ समय समय प्रति देवगति का बंध पाइए तातै निरंतर-बंधी है। तातै देवगति उभयबंधी है।
अधिक जानकारी के लिये देखें प्रकृति बंध - 2।