सांतर स्थिति
From जैनकोष
गोम्मटसार कर्मकांड/ भाषा/945,946/2054-2055
सांतरस्थिति उत्कृष्ट स्थिति तै लगाय-जघन्य स्थिति पर्यंत एक-एक समय घाटिका अनुक्रम लिये जो निरंतर स्थिति के भेद...(945/2054)। सांतर स्थिति-सांतर कहिए एक समय घाटिके नियम करि रहित ऐसे स्थिति के भेद।
क्षपणासार/ भाषा/583/695/16
गुणश्रेणि आयाम के ऊपरवर्ती जिनि प्रदेशनिका पूर्वै अभाव किया था तिनिका प्रमाण रूप अंतरस्थिति है।
अधिक जानकारी के लिये देखें स्थिति - 1।