सूक्ष्मा वाणी: Difference between revisions
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<span class="GRef"> राजवार्तिक हिंदी/1/20/166</span><br/> <span class="HindiText">शब्दाद्वैतवादी वाणी चार प्रकार की मानते हैं–पश्यंती, मध्यमा, वैखरी, '''सूक्ष्मा'''।</span> | |||
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<li class="HindiText"> पश्यंती–जामें विभाग नाहीं। सर्व तरफ संकोचा है क्रम जाने ऐसी पश्यंती कहिए–लब्धि के अनुसार द्रव्य वचन को कारण जो उपयोग। (जैन के अनुसार इसे ही उपयोगात्मक भाव वचन कहते हैं।) </span></li> | |||
<li class="HindiText"> मध्यमा–वक्ता की बुद्धि तो जाको उपादान कारण है, बहुरि सासोच्छ्वास को उलंघि अनुक्रमतै प्रवर्तती ताकू मध्यमा कहिए ... शब्द वर्गणा रूप द्रव्य वचन। (जैन के अनुसार इसे शब्द वर्गणा कहते हैं।) </span></li> | |||
<li class="HindiText"> वैखरी–कंठादि के स्थाननिको भेदकरि पवन निसरा ऐसा जो वक्ता का सासोच्छ्वास है कारण जाकूं ऐसी अक्षर रूप प्रवर्तती ताकू वैखरी कहिए ... (अर्थात्) कर्णेंद्रिय ग्राह्य पर्याय स्वरूप द्रव्य वचन। (जैन के अनुसार इसे इसी नाम से स्वीकारा गया है। ) </span></li> | |||
<li class="HindiText"><strong> सूक्ष्मा</strong>–अंतर प्रकाश रूप स्वरूप ज्योति रूप नित्य ऐसी सूक्ष्मा कहिए। ... क्षयोपशम से प्रगटी आत्मा की अक्षर को ग्रहण करने की तथा कहने की शक्ति रूप लब्धि। (जैन के अनुसार इसे लब्धि रूप भाव वचन स्वीकारा गया है।) </span></li> | |||
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Latest revision as of 17:42, 24 February 2024
राजवार्तिक हिंदी/1/20/166
शब्दाद्वैतवादी वाणी चार प्रकार की मानते हैं–पश्यंती, मध्यमा, वैखरी, सूक्ष्मा।
- पश्यंती–जामें विभाग नाहीं। सर्व तरफ संकोचा है क्रम जाने ऐसी पश्यंती कहिए–लब्धि के अनुसार द्रव्य वचन को कारण जो उपयोग। (जैन के अनुसार इसे ही उपयोगात्मक भाव वचन कहते हैं।)
- मध्यमा–वक्ता की बुद्धि तो जाको उपादान कारण है, बहुरि सासोच्छ्वास को उलंघि अनुक्रमतै प्रवर्तती ताकू मध्यमा कहिए ... शब्द वर्गणा रूप द्रव्य वचन। (जैन के अनुसार इसे शब्द वर्गणा कहते हैं।)
- वैखरी–कंठादि के स्थाननिको भेदकरि पवन निसरा ऐसा जो वक्ता का सासोच्छ्वास है कारण जाकूं ऐसी अक्षर रूप प्रवर्तती ताकू वैखरी कहिए ... (अर्थात्) कर्णेंद्रिय ग्राह्य पर्याय स्वरूप द्रव्य वचन। (जैन के अनुसार इसे इसी नाम से स्वीकारा गया है। )
- सूक्ष्मा–अंतर प्रकाश रूप स्वरूप ज्योति रूप नित्य ऐसी सूक्ष्मा कहिए। ... क्षयोपशम से प्रगटी आत्मा की अक्षर को ग्रहण करने की तथा कहने की शक्ति रूप लब्धि। (जैन के अनुसार इसे लब्धि रूप भाव वचन स्वीकारा गया है।)
अधिक जानकारी के लिये देखें भाषा - 6 ।