सूत्र सम्यक्त्व: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> आत्मानुशासन/12-14 </span><span class="SanskritText">आज्ञासम्यक्त्वमुक्तं यदुत विरुचितं वीतरागाज्ञयैव, त्यक्तग्रंथप्रपंचं शिवममृतपथं श्रद्दधंमोहशांते:। मार्गश्रद्धानमाहु: पुरुषवरपुराणोपदेशोपजाता, या संज्ञानागमाब्धिप्रसृतिभिरुपदेशादिरादेशि दृष्टि:।12। आकर्ण्याचारसूत्रं मुनिचरणविधे: सूचनं श्रद्दधान:, सूक्तासौ सूत्रदृष्टिर्दुरधिजमगतेरर्थसार्थस्य बीजै:। कैश्चिज्जातोपलब्धेरसमशमवशाद्बीजदृष्टि: पदार्थान्, संक्षेपेणैव बुद्धवा रुचिमुपगतवान् साधु संक्षेपदृष्टि:।13। य: श्रुत्वा द्वादशांगी कृतरुचिरथ तं विद्धि विस्तारदृष्टिं, संजातार्थात्कुतश्चित्प्रवचनवचनांयंतरेणार्थदृष्टि:। दृष्टि: सांगांगबाह्यप्रवचनमवगाह्योत्थिता यावगाढा, कैवल्यालोकितार्थे रुचिरिह परमावादिगाढेति रूढा।14।</span> =<span class="HindiText"> | |||
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<li class="HindiText">मुनि के चारित्रानुष्ठान को सूचित करने वाले आचारसूत्र को सुनकर जो तत्त्वार्थ श्रद्धान होता है उसे '''सूत्र सम्यग्दर्शन''' कहा गया है। </li> | |||
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Latest revision as of 17:48, 24 February 2024
आत्मानुशासन/12-14 आज्ञासम्यक्त्वमुक्तं यदुत विरुचितं वीतरागाज्ञयैव, त्यक्तग्रंथप्रपंचं शिवममृतपथं श्रद्दधंमोहशांते:। मार्गश्रद्धानमाहु: पुरुषवरपुराणोपदेशोपजाता, या संज्ञानागमाब्धिप्रसृतिभिरुपदेशादिरादेशि दृष्टि:।12। आकर्ण्याचारसूत्रं मुनिचरणविधे: सूचनं श्रद्दधान:, सूक्तासौ सूत्रदृष्टिर्दुरधिजमगतेरर्थसार्थस्य बीजै:। कैश्चिज्जातोपलब्धेरसमशमवशाद्बीजदृष्टि: पदार्थान्, संक्षेपेणैव बुद्धवा रुचिमुपगतवान् साधु संक्षेपदृष्टि:।13। य: श्रुत्वा द्वादशांगी कृतरुचिरथ तं विद्धि विस्तारदृष्टिं, संजातार्थात्कुतश्चित्प्रवचनवचनांयंतरेणार्थदृष्टि:। दृष्टि: सांगांगबाह्यप्रवचनमवगाह्योत्थिता यावगाढा, कैवल्यालोकितार्थे रुचिरिह परमावादिगाढेति रूढा।14। =
- ....... ।
- मुनि के चारित्रानुष्ठान को सूचित करने वाले आचारसूत्र को सुनकर जो तत्त्वार्थ श्रद्धान होता है उसे सूत्र सम्यग्दर्शन कहा गया है।
अधिक जानकारी के लिये देखें सम्यग्दर्शन - I.1.2।