करौ रे भाई, तत्त्वारथ सरधान: Difference between revisions
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( राग दीपचन्दी )
करौ रे भाई, तत्त्वारथ सरधान । नरभव सुकुल सुक्षेत्र पायके ।।टेक ।।
देखन जाननहार आप लखि, देहादिक परमान ।।१ ।।
मोह रागरूष अहित जान तजि, बंधहु विधि दुखदान ।।२ ।।
निज स्वरूप में मगन होय कर, लगन विषय दो भान ।।३ ।।
`भागचन्द' साधक ह्वै साधो, साध्य स्वपद अमलान ।।४ ।।