पारितापिकी-क्रिया: Difference between revisions
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<p> श्रावक के साम्परायिक आस्रव से संबंधित पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया । यह स्वयं को और पर को दुःख देने वाली होती है । हरिवंशपुराण 58.60, 67</p> | <p> श्रावक के साम्परायिक आस्रव से संबंधित पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया । यह स्वयं को और पर को दुःख देने वाली होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.60, 67 </span></p> | ||
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
श्रावक के साम्परायिक आस्रव से संबंधित पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया । यह स्वयं को और पर को दुःख देने वाली होती है । हरिवंशपुराण 58.60, 67