पारितापिकी-क्रिया
From जैनकोष
श्रावक के सांपरायिक आस्रव से संबंधित पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया । यह स्वयं को और पर को दुःख देने वाली होती है । हरिवंशपुराण - 58.60,हरिवंशपुराण - 58.67
श्रावक के सांपरायिक आस्रव से संबंधित पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया । यह स्वयं को और पर को दुःख देने वाली होती है । हरिवंशपुराण - 58.60,हरिवंशपुराण - 58.67