नरभव पाय फेरि दुख भरना: Difference between revisions
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(राग बिलावल धीमा तेतालो)
नरभव पाय फेरि दुख भरना, ऐसा काज न करना हो ।।नरभव. ।।टेक ।।
नाहक ममत ठानि पुद्गलसौं, करम जाल क्यौं परना हो ।।१ ।।नरभव. ।।
यह तो जड़ तू ज्ञान अरूपी, तिल तुष ज्यौं गुरु वरना हो ।
राग दोष तजि भजि समताकौं, कर्म साथके हरना हो ।।२ ।।नरभव. ।।
यो भव पाय विषय-सुख सेना, गज चढ़ि इंर्धन ढोना हो ।
`बुधजन' समुझि सेय जिनवर पद, ज्यौं भवसागर तरना हो ।।३ ।।नरभव. ।।