होरी खेलौंगी, घर आये चिदानंद कन्त: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: '''(राग धमाल सारंग)''' <br> होरी खेलौंगी, घर आये चिदानंद कन्त ।।टेक ।।<br> शिशिर म...) |
No edit summary |
||
Line 14: | Line 14: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:भूधरदासजी]] | [[Category:भूधरदासजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 01:23, 17 February 2008
(राग धमाल सारंग)
होरी खेलौंगी, घर आये चिदानंद कन्त ।।टेक ।।
शिशिर मिथ्यात गयो आई अब, कालकी लब्धि बसन्त ।।होरी. ।।
पिय सँग खेलनको हम सखियो! तरसीं काल अनन्त ।
भाग फिरे अब फाग रचानों, आयो बिरहको अन्त ।।१ ।।होरी. ।।
सरधा गागरमें रुचिरूपी, केसर घोरि तुरन्त ।
आनँद नीर उमंग पिचकारी, छोड़ो नीकी भन्त ।।२ ।।होरी. ।।
आज वियोग कुमति सौतनिकै, मेरे हरष महन्त ।
`भूधर' धनि यह दिन दुर्लभ अति, सुमति सखी विहसन्त ।।३ ।।होरी. ।।