कांचन गिरि: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> विदेह के उत्तरकुरु व देवकुरु में सीता व सीतोदा नदी के दोनों तटों पर पचास-पचास अथवा नदी के भीतर स्थित दस-दस द्रहों के दोनों ओर पाँच-पाँच करके, कंचन वर्णवाले कूटाकार सौ-सौ पर्वत हैं। अर्थात् देवकुरु व उत्तरकुरु में पृथक्-पृथक् सौ-सौ हैं।–देखें [[ लोक#3.8 | लोक - 3.8]]। | |||
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Latest revision as of 10:07, 11 August 2022
विदेह के उत्तरकुरु व देवकुरु में सीता व सीतोदा नदी के दोनों तटों पर पचास-पचास अथवा नदी के भीतर स्थित दस-दस द्रहों के दोनों ओर पाँच-पाँच करके, कंचन वर्णवाले कूटाकार सौ-सौ पर्वत हैं। अर्थात् देवकुरु व उत्तरकुरु में पृथक्-पृथक् सौ-सौ हैं।–देखें लोक - 3.8।