नंदीश्वर पंक्तिव्रत: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
(8 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText">एक अंजनगिरि का एक बेला, 4 दधिमुख के 4 उपवास और आठ दधिमुख के 8 उपवास। इस प्रकार चारों दिशाओं संबंधी 4 बेला व 48 उपवास करे। बीच के 52 स्थानों मे एक-एक पारणा करे। इस प्रकार यह व्रत कुल 108 दिन में पूरा होता है। ‘ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्य द्वापंचाशज्जिनालयेभ्यो नम:’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। <span class="GRef"> (हरिवंशपुराण/34/84), (वसुनंदी श्रावकाचार/373-375), (व्रतविधान संग्रह/पृ.117), (किशनसिंह क्रियाकोश)</span></div> | |||
<noinclude> | |||
[[ नंदीश्वर द्वीप | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ नंदीश्वर सागर | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: न]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] | |||
Latest revision as of 19:00, 17 September 2022
एक अंजनगिरि का एक बेला, 4 दधिमुख के 4 उपवास और आठ दधिमुख के 8 उपवास। इस प्रकार चारों दिशाओं संबंधी 4 बेला व 48 उपवास करे। बीच के 52 स्थानों मे एक-एक पारणा करे। इस प्रकार यह व्रत कुल 108 दिन में पूरा होता है। ‘ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्य द्वापंचाशज्जिनालयेभ्यो नम:’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। (हरिवंशपुराण/34/84), (वसुनंदी श्रावकाचार/373-375), (व्रतविधान संग्रह/पृ.117), (किशनसिंह क्रियाकोश)