प्रिय: Difference between revisions
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Latest revision as of 09:30, 1 October 2022
- कषायपाहुड़/1/1,13-14/219/271/9 स्वरुचिविषयीकृतं वस्तु प्रियं, यथा पुत्रादिः । = जो वस्तु अपने को रुचे उसे प्रिय कहते हैं । जैसे - पुत्र आदि ।
- उत्तरधातकीखंड द्वीप का रक्षक देव- देखें व्यंतर - 4.7 ।