प्रीतिवर्द्धन: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) प्रभाकरी नगरी का राजा । इसने मासोपवासी पिहितास्रव मुनि को आहार दिया था । जिससे उसे पंचाश्चर्य प्राप्त हुए थे । इसने मुनि के कहने से राजा अतिपूर्व के जीव सिंह की समाधि में यथोचित सेवा की जिससे उसे देवगति मिली । <span class="GRef"> महापुराण 8. 192, 195, 201-209 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) प्रभाकरी नगरी का राजा । इसने मासोपवासी पिहितास्रव मुनि को आहार दिया था । जिससे उसे पंचाश्चर्य प्राप्त हुए थे । इसने मुनि के कहने से राजा अतिपूर्व के जीव सिंह की समाधि में यथोचित सेवा की जिससे उसे देवगति मिली । <span class="GRef"> महापुराण 8. 192, 195, 201-209 </span></p> | ||
<p id="2">(2) दशांगपुर के राजा वज्रकर्ण का उपदेशक एक साधु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 33.75-120 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) दशांगपुर के राजा वज्रकर्ण का उपदेशक एक साधु । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_33#75|पद्मपुराण - 33.75-120]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) अच्युत स्वर्ग का एक विमान । <span class="GRef"> महापुराण 7.26 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) अच्युत स्वर्ग का एक विमान । <span class="GRef"> महापुराण 7.26 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
(1) प्रभाकरी नगरी का राजा । इसने मासोपवासी पिहितास्रव मुनि को आहार दिया था । जिससे उसे पंचाश्चर्य प्राप्त हुए थे । इसने मुनि के कहने से राजा अतिपूर्व के जीव सिंह की समाधि में यथोचित सेवा की जिससे उसे देवगति मिली । महापुराण 8. 192, 195, 201-209
(2) दशांगपुर के राजा वज्रकर्ण का उपदेशक एक साधु । पद्मपुराण - 33.75-120
(3) अच्युत स्वर्ग का एक विमान । महापुराण 7.26