स्वमुखोदय: Difference between revisions
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<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि 8/21/398/7 </span><span class="SanskritText"> स एवं प्रत्ययवशादुपात्तोऽनुभवो द्विधा वर्तते स्वमुखेन परमुखेन च।</span > | |||
<span class="HindiText">= इस प्रकार कारणवश से प्राप्त हुआ वह अनुभव दो प्रकार से प्रवृत्त होता है - 1. '''स्वमुख''' से और 2 परमुख से।</span > | |||
<span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ उदय#1 | उदय - 1]]।</span > | |||
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सर्वार्थसिद्धि 8/21/398/7 स एवं प्रत्ययवशादुपात्तोऽनुभवो द्विधा वर्तते स्वमुखेन परमुखेन च। = इस प्रकार कारणवश से प्राप्त हुआ वह अनुभव दो प्रकार से प्रवृत्त होता है - 1. स्वमुख से और 2 परमुख से।
अधिक जानकारी के लिये देखें उदय - 1।