भौम: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) व्यंतर देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 162 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) व्यंतर देव । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#162|हरिवंशपुराण - 3.162]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
(1) व्यंतर देव । हरिवंशपुराण - 3.162
(2) पृथिवीकायिक जीव । हरिवंशपुराण - 18.70
(3) अष्टांग निमित्तज्ञान का एक अंग । इससे पृथिवी के स्थान आदि के भेद से हानि-वृद्धि तथा पृथिवी के भीतर रखे हुए रत्न आदि का पता लगाया जाता है । महापुराण 62.181, 184, हरिवंशपुराण - 10.117