भोगारां लोभीड़ा, नरभव खोयौ रे अज्ञान: Difference between revisions
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(राग-सोरठ)
भोगांरा लोभीड़ा, नरभव खोयौ रे अजान ।।भोगांरा. ।।टेक ।।
धर्मकाजकौ कारन थौ यौ, सो भूल्यौ तू बान ।
हिंसा अनृत परतिय चोरी, सेवत निजकरि जान ।।१ ।।भोगांरा. ।।
इन्द्रीसुखमैं मगन हुवौ तू, परकौं आतम मान ।
बन्ध नवीन पड़ै छै यातैं, होवत मौटी हान ।।२ ।।भोगांरा. ।।
गया न कछु जो चेतौ बुधजन, पावौ अविचल थान ।
तन है जड़ तू दृष्टा ज्ञाता, कर लै यौं सरधान ।।३ ।।भोगांरा. ।।