ब्रह्मदत्त: Difference between revisions
From जैनकोष
m (→पुराणकोष से) |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
12वाँ चक्रवर्ती था । - विशेष देखें [[ | 12वाँ चक्रवर्ती था । - विशेष देखें [[शलाका_पुरुष#2.2 | शलाका पुरुष 2/2]]। | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 13: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) वेदों का ज्ञाता-गिरितट नगर का वासी एक | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) वेदों का ज्ञाता-गिरितट नगर का वासी एक उपाध्याय । कुमार सुदेव इसी उपाध्याय के निकट अध्ययनार्थ आये थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_23#33|हरिवंशपुराण - 23.33]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) साकेत नगर का | <p id="2" class="HindiText">(2) साकेत नगर का राजा । इसने तीर्थंकर अजितनाथ की दीक्षा के पश्चात् किये हुए षष्ठोपवास के अनंतर आहार दिया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#63|पद्मपुराण - 5.63-70]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) अवसर्पिणीकाल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न शलाकापुरुष एवं बारहवाँ | <p id="3" class="HindiText">(3) अवसर्पिणीकाल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न शलाकापुरुष एवं बारहवाँ चक्रवर्ती । तीर्थंकर नेमिनाथ और पार्श्वनाथ के अंतराल में यह कांपिल्य नगर के राजा ब्रह्मरथ और उसकी चूड़ादेवी नामा रानी के पुत्र के रूप में उत्पन्न हुआ था । इसकी शारीरिक ऊँचाई सात धनुष तथा आयु सात सौ वर्ष थी । इसने अट्ठाईस वर्ष कुमारावस्था में, छप्पन वर्ष मंडली अवस्था में, सौलह वर्ष दिग्विजय में और छ: सौ वर्ष राज्योवस्था में बिताये थे । यह संयम धारण नहीं कर सका था । <span class="GRef"> महापुराण 72. 287-288, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#287|हरिवंशपुराण - 60.287]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#514|हरिवंशपुराण - 60.514]]-516 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101-110 </span>पूर्वभव में यह काशी नगरी में संभूत नामक राजा था । मरने के बाद यह कमलगुल्म नामक विमान में देव हुआ और वहाँ से च्युत होकर चक्रवर्ती हुआ । लक्ष्मी से विरक्त न हो सकने से मरकर सातवें नरक गया । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#191|पद्मपुराण - 20.191-193]] </span></p> | ||
<p> सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक | <p> सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.10 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
12वाँ चक्रवर्ती था । - विशेष देखें शलाका पुरुष 2/2।
पुराणकोष से
(1) वेदों का ज्ञाता-गिरितट नगर का वासी एक उपाध्याय । कुमार सुदेव इसी उपाध्याय के निकट अध्ययनार्थ आये थे । हरिवंशपुराण - 23.33
(2) साकेत नगर का राजा । इसने तीर्थंकर अजितनाथ की दीक्षा के पश्चात् किये हुए षष्ठोपवास के अनंतर आहार दिया था । पद्मपुराण - 5.63-70
(3) अवसर्पिणीकाल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न शलाकापुरुष एवं बारहवाँ चक्रवर्ती । तीर्थंकर नेमिनाथ और पार्श्वनाथ के अंतराल में यह कांपिल्य नगर के राजा ब्रह्मरथ और उसकी चूड़ादेवी नामा रानी के पुत्र के रूप में उत्पन्न हुआ था । इसकी शारीरिक ऊँचाई सात धनुष तथा आयु सात सौ वर्ष थी । इसने अट्ठाईस वर्ष कुमारावस्था में, छप्पन वर्ष मंडली अवस्था में, सौलह वर्ष दिग्विजय में और छ: सौ वर्ष राज्योवस्था में बिताये थे । यह संयम धारण नहीं कर सका था । महापुराण 72. 287-288, हरिवंशपुराण - 60.287,हरिवंशपुराण - 60.514-516 वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101-110 पूर्वभव में यह काशी नगरी में संभूत नामक राजा था । मरने के बाद यह कमलगुल्म नामक विमान में देव हुआ और वहाँ से च्युत होकर चक्रवर्ती हुआ । लक्ष्मी से विरक्त न हो सकने से मरकर सातवें नरक गया । पद्मपुराण - 20.191-193
सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.10