न्याय विनिश्चय: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(12 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">आ.अकलंक भट्ट (ई.620-680) कृत यह न्यायविषयक ग्रंथ है। आचार्य श्री ने इसे तीन प्रस्तावों में 480 संस्कृत श्लोकों द्वारा रचकर स्वयं ही संस्कृत में इस पर एक वृत्ति भी लिख दी है। इसके तीन प्रस्तावों में प्रत्यक्ष, अनुमान व प्रवचन ये तीन विषय निबद्ध हैं। इस ग्रंथ पर आ.वादिराज सूरि (ई.1010-1065) ने संस्कृत भाषा में एक विशद विवरण लिखा है। <span class="GRef">( सिद्धि विनिश्चय/ प्रस्तावना 58/पं.महेंद्र)</span> <span class="GRef">(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरी /2/309)</span>।</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ न्याय भागमत समुच्चय | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ न्यायकर्णिका | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: न]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] | |||
[[Category: इतिहास]] | |||
Latest revision as of 22:21, 17 November 2023
आ.अकलंक भट्ट (ई.620-680) कृत यह न्यायविषयक ग्रंथ है। आचार्य श्री ने इसे तीन प्रस्तावों में 480 संस्कृत श्लोकों द्वारा रचकर स्वयं ही संस्कृत में इस पर एक वृत्ति भी लिख दी है। इसके तीन प्रस्तावों में प्रत्यक्ष, अनुमान व प्रवचन ये तीन विषय निबद्ध हैं। इस ग्रंथ पर आ.वादिराज सूरि (ई.1010-1065) ने संस्कृत भाषा में एक विशद विवरण लिखा है। ( सिद्धि विनिश्चय/ प्रस्तावना 58/पं.महेंद्र) (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरी /2/309)।