निषाद: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) संगीत के सात स्वरों में एक स्वर । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17.277, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.153 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) संगीत के सात स्वरों में एक स्वर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_17#277|पद्मपुराण - 17.277]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_19#153|हरिवंशपुराण - 19.153]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) भील । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 35.6 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) भील । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_35#6|हरिवंशपुराण - 35.6]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
संगीत के सात स्वरों में एक स्वर । सर्व शरीर में स्थित स्वर को निषाद कहते हैं। अन्य संबंधित विषय के लिए देखें स्वर ।
पुराणकोष से
(1) संगीत के सात स्वरों में एक स्वर । पद्मपुराण - 17.277, हरिवंशपुराण - 19.153
(2) भील । हरिवंशपुराण - 35.6