मुमुक्षु: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> अनगारधर्मामृत/1/11/34 </span>स्वार्थैकमतयो भांतु मा भांतु घटदीपवत्। परार्थे स्वार्थमतयो ब्रह्मवद्भांत्वहर्दिवम्।11। = मुमुक्षु तीन प्रकार के होते हैं–एक तो परोपकार को प्रधान रखकर स्वोपकार करने वाले, दूसरे स्वोपकार को प्रधान रखकर स्वोपकार करने वाले और तीसरे केवल स्वोपकार करने वाले–विशेष देखें [[ उपकार#9 | उपकार - 9]]।</p> | <p><span class="GRef"> अनगारधर्मामृत/1/11/34 </span><p class="SanskritText">स्वार्थैकमतयो भांतु मा भांतु घटदीपवत्। परार्थे स्वार्थमतयो ब्रह्मवद्भांत्वहर्दिवम्।11। </p><p class="HindiText">= मुमुक्षु तीन प्रकार के होते हैं–एक तो परोपकार को प्रधान रखकर स्वोपकार करने वाले, दूसरे स्वोपकार को प्रधान रखकर स्वोपकार करने वाले और तीसरे केवल स्वोपकार करने वाले–विशेष देखें [[ उपकार#9 | उपकार - 9]]।</p> | ||
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Latest revision as of 11:17, 21 January 2023
स्वयंभू स्तोत्र/ टीका/3/7
मोक्तुमिच्छुर्मुमुक्षु:।
= मोक्ष की इच्छा करने वाला मुमुक्षु है।
अनगारधर्मामृत/1/11/34
स्वार्थैकमतयो भांतु मा भांतु घटदीपवत्। परार्थे स्वार्थमतयो ब्रह्मवद्भांत्वहर्दिवम्।11।
= मुमुक्षु तीन प्रकार के होते हैं–एक तो परोपकार को प्रधान रखकर स्वोपकार करने वाले, दूसरे स्वोपकार को प्रधान रखकर स्वोपकार करने वाले और तीसरे केवल स्वोपकार करने वाले–विशेष देखें उपकार - 9।