मुरज
From जैनकोष
वृषभदेव के समय का एक मांगलिक वाद्य । इसकी ध्वनि मधुर और सुखद होती थी । राम के समय में भी इसका प्रयोग होता था । ये मांगलिक अवसरों पर बनाये जाते थे । महापुराण 12.207, पद्मपुराण - 40.30
वृषभदेव के समय का एक मांगलिक वाद्य । इसकी ध्वनि मधुर और सुखद होती थी । राम के समय में भी इसका प्रयोग होता था । ये मांगलिक अवसरों पर बनाये जाते थे । महापुराण 12.207, पद्मपुराण - 40.30