मुरजमध्यव्रत: Difference between revisions
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<p class="HindiText">इस व्रत की दो प्रकार विधि है–बृहत् व लघु। 1. बृहत् विधि–यंत्र में दिखाये अनुसार क्रमश: 5,4,3,2,2,3,4,5 इस प्रकार 28 उपवास करे। बीच के सर्व खाली स्थानों में एक एक करके 8 पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। | <p class="HindiText">इस व्रत की दो प्रकार विधि है–बृहत् व लघु। 1. बृहत् विधि–यंत्र में दिखाये अनुसार क्रमश: 5,4,3,2,2,3,4,5 इस प्रकार 28 उपवास करे। बीच के सर्व खाली स्थानों में एक एक करके 8 पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/34/66 )</span>।</p> <p class="HindiText">2. लघुविधि यंत्र में दिखाये अनुसार क्रमश: 2,3,4,5,5,4,3 इस प्रकार 26 उपवास करे। बीच के सर्व खाली स्थानों में एक एक करके 7 पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। <span class="GRef">( व्रतविधान संग्रह/पृष्ठ 80 )</span>।</p> | ||
Latest revision as of 22:27, 17 November 2023
इस व्रत की दो प्रकार विधि है–बृहत् व लघु। 1. बृहत् विधि–यंत्र में दिखाये अनुसार क्रमश: 5,4,3,2,2,3,4,5 इस प्रकार 28 उपवास करे। बीच के सर्व खाली स्थानों में एक एक करके 8 पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। ( हरिवंशपुराण/34/66 )।
2. लघुविधि यंत्र में दिखाये अनुसार क्रमश: 2,3,4,5,5,4,3 इस प्रकार 26 उपवास करे। बीच के सर्व खाली स्थानों में एक एक करके 7 पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। ( व्रतविधान संग्रह/पृष्ठ 80 )।