मुरजमध्यव्रत
From जैनकोष
इस व्रत की दो प्रकार विधि है–बृहत् व लघु। 1. बृहत् विधि–यंत्र में दिखाये अनुसार क्रमश: 5,4,3,2,2,3,4,5 इस प्रकार 28 उपवास करे। बीच के सर्व खाली स्थानों में एक एक करके 8 पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। ( हरिवंशपुराण/34/66 )।
2. लघुविधि यंत्र में दिखाये अनुसार क्रमश: 2,3,4,5,5,4,3 इस प्रकार 26 उपवास करे। बीच के सर्व खाली स्थानों में एक एक करके 7 पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। ( व्रतविधान संग्रह/पृष्ठ 80 )।