संभ्रमदेव: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> काशी नगरी का श्रावक । इसने अपनी दासी के कूट और कार्पटिक दोनों पुत्रों को जिनमंदिर में नियुक्त कर दिया था । पुण्य के प्रभाव से दोनों मरकर रूपानंद और सुरूप नामक व्यंतर देव हुए । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.122-123 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> काशी नगरी का श्रावक । इसने अपनी दासी के कूट और कार्पटिक दोनों पुत्रों को जिनमंदिर में नियुक्त कर दिया था । पुण्य के प्रभाव से दोनों मरकर रूपानंद और सुरूप नामक व्यंतर देव हुए । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#122|पद्मपुराण - 5.122-123]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
काशी नगरी का श्रावक । इसने अपनी दासी के कूट और कार्पटिक दोनों पुत्रों को जिनमंदिर में नियुक्त कर दिया था । पुण्य के प्रभाव से दोनों मरकर रूपानंद और सुरूप नामक व्यंतर देव हुए । पद्मपुराण - 5.122-123