कामदृष्टि: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> भरतेश चक्रवर्ती का गृहपति-रत्न । यह उनके चौदह रत्नों में एक था । इसने और स्थपति रत्न रत्नभद्र ने उन्मग्नजला और निमम्नजला दोनों नदियों पर पुल बनाया था जिस पर होकर भरतेश की सेना उत्तर भारत में पहुँची थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11.26-29 </span><span class="GRef"> महापुराण में कामदृष्टि को कामवृष्टि कहा है । <span class="GRef"> महापुराण 37.176</span> </p> | <span class="HindiText"> भरतेश चक्रवर्ती का गृहपति-रत्न । यह उनके चौदह रत्नों में एक था । इसने और स्थपति रत्न रत्नभद्र ने उन्मग्नजला और निमम्नजला दोनों नदियों पर पुल बनाया था जिस पर होकर भरतेश की सेना उत्तर भारत में पहुँची थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#26|हरिवंशपुराण - 11.26-29]] </span><span class="GRef"> महापुराण में कामदृष्टि को कामवृष्टि कहा है ।</span> <span class="GRef"> महापुराण 37.176</span> </p> | ||
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
भरतेश चक्रवर्ती का गृहपति-रत्न । यह उनके चौदह रत्नों में एक था । इसने और स्थपति रत्न रत्नभद्र ने उन्मग्नजला और निमम्नजला दोनों नदियों पर पुल बनाया था जिस पर होकर भरतेश की सेना उत्तर भारत में पहुँची थी । हरिवंशपुराण - 11.26-29 महापुराण में कामदृष्टि को कामवृष्टि कहा है । महापुराण 37.176