मधुसूदन: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) अवसर्पिणीकाल के दुःषमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न शलाकापुरुष और छठा प्रतिवासुदेव । यह काशी देश में वाराणसी नगरी का स्वामी था । इसने बलभद्र सुप्रभ तथा नारायण पुरुषोत्तम से फलस्वरूप गज और रत्न मांगे थे । फलस्वरूप बलभद्र और नारायण इसके विरोधी हो गये । इसने उनसे युद्ध किया और अपने ही चक्र से मृत्यु को प्राप्त होकर नरक गया । <span class="GRef"> महापुराण 60. 71-78, 83, 67.142-144, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 114-115 </span>देखें [[ मधुकैटभ ]]</p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) अवसर्पिणीकाल के दुःषमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न शलाकापुरुष और छठा प्रतिवासुदेव । यह काशी देश में वाराणसी नगरी का स्वामी था । इसने बलभद्र सुप्रभ तथा नारायण पुरुषोत्तम से फलस्वरूप गज और रत्न मांगे थे । फलस्वरूप बलभद्र और नारायण इसके विरोधी हो गये । इसने उनसे युद्ध किया और अपने ही चक्र से मृत्यु को प्राप्त होकर नरक गया । <span class="GRef"> महापुराण 60. 71-78, 83, 67.142-144, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 114-115 </span>देखें [[ मधुकैटभ ]]</p> | ||
<p id="2">(2) कृष्ण का अपर नाम । <span class="GRef"> महापुराण 70.470 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) कृष्ण का अपर नाम । <span class="GRef"> महापुराण 70.470 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
देखें मधुकैटभ ।
पुराणकोष से
(1) अवसर्पिणीकाल के दुःषमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न शलाकापुरुष और छठा प्रतिवासुदेव । यह काशी देश में वाराणसी नगरी का स्वामी था । इसने बलभद्र सुप्रभ तथा नारायण पुरुषोत्तम से फलस्वरूप गज और रत्न मांगे थे । फलस्वरूप बलभद्र और नारायण इसके विरोधी हो गये । इसने उनसे युद्ध किया और अपने ही चक्र से मृत्यु को प्राप्त होकर नरक गया । महापुराण 60. 71-78, 83, 67.142-144, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 114-115 देखें मधुकैटभ
(2) कृष्ण का अपर नाम । महापुराण 70.470