वृत्तिपरिसंख्यान: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> बाह्य तप का तीसरा भेद । भोजन विषयक तृष्णा दूर करने के लिए मुनियों का आहार-वृत्ति में घरों की सीमा का नियम लेकर चर्या के लिए जाना वृत्तिपरिसंख्यान तप कहलाता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.176, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 14.114-115, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 64.23, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 13.42 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> बाह्य तप का तीसरा भेद । भोजन विषयक तृष्णा दूर करने के लिए मुनियों का आहार-वृत्ति में घरों की सीमा का नियम लेकर चर्या के लिए जाना वृत्तिपरिसंख्यान तप कहलाता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.176, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_14#114|पद्मपुराण - 14.114-115]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_64#23|हरिवंशपुराण - 64.23]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 13.42 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
बाह्य तप का तीसरा भेद । भोजन विषयक तृष्णा दूर करने के लिए मुनियों का आहार-वृत्ति में घरों की सीमा का नियम लेकर चर्या के लिए जाना वृत्तिपरिसंख्यान तप कहलाता है । महापुराण 20.176, पद्मपुराण - 14.114-115, हरिवंशपुराण - 64.23, वीरवर्द्धमान चरित्र 13.42