वृत्तिपरिसंख्यान
From जैनकोष
बाह्य तप का तीसरा भेद । भोजन विषयक तृष्णा दूर करने के लिए मुनियों का आहार-वृत्ति में घरों की सीमा का नियम लेकर चर्या के लिए जाना वृत्तिपरिसंख्यान तप कहलाता है । महापुराण 20.176, पद्मपुराण - 14.114-115, हरिवंशपुराण - 64.23, वीरवर्द्धमान चरित्र 13.42