हिरण्योत्कृष्टजन्मताक्रिया: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> गर्भान्वयी त्रेपन (53) क्रियाओं में उंतालीसवीं (39) क्रिया - तीर्थंकरों के जन्म संबंधी उत्कृष्टता की सूचक अन्य बातों के साथ-साथ स्वर्ण की वर्षा होना । यह क्रिया तीर्थंकरों के होती है । इसमें तीर्थंकरों के गर्भ में आने के छ: मास पूर्व से कुबेर रत्नों की वर्षा करता है । मंद-मंद हवा बहती है, दुंदुभियों की ध्वनियाँ होती है, पुष्पवृष्टि होती है और देवियाँ आकर जिन-माता की सेवा करती है । <span class="GRef"> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> गर्भान्वयी त्रेपन (53) क्रियाओं में उंतालीसवीं (39) क्रिया - तीर्थंकरों के जन्म संबंधी उत्कृष्टता की सूचक अन्य बातों के साथ-साथ स्वर्ण की वर्षा होना । यह क्रिया तीर्थंकरों के होती है । इसमें तीर्थंकरों के गर्भ में आने के छ: मास पूर्व से कुबेर रत्नों की वर्षा करता है । मंद-मंद हवा बहती है, दुंदुभियों की ध्वनियाँ होती है, पुष्पवृष्टि होती है और देवियाँ आकर जिन-माता की सेवा करती है । <span class="GRef"> महापुराण 38.60, 217-224 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:31, 27 November 2023
गर्भान्वयी त्रेपन (53) क्रियाओं में उंतालीसवीं (39) क्रिया - तीर्थंकरों के जन्म संबंधी उत्कृष्टता की सूचक अन्य बातों के साथ-साथ स्वर्ण की वर्षा होना । यह क्रिया तीर्थंकरों के होती है । इसमें तीर्थंकरों के गर्भ में आने के छ: मास पूर्व से कुबेर रत्नों की वर्षा करता है । मंद-मंद हवा बहती है, दुंदुभियों की ध्वनियाँ होती है, पुष्पवृष्टि होती है और देवियाँ आकर जिन-माता की सेवा करती है । महापुराण 38.60, 217-224