तद्भव मरण: Difference between revisions
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<span class="GRef"> राजवार्तिक/7/22/2/550/19 </span><span class="SanskritText">मरणं द्विविधम्–नित्यमरणं तद्भवमरणं चेति।</span> = <span class="HindiText">मरण दो प्रकार का है–नित्यमरण और '''तद्भवमरण'''। </span><br> | |||
<span class="GRef"> राजवार्तिक/7/22/2/550/20 </span><span class="SanskritText">तत्र नित्यमरणं समयसमये स्वायुरादीनां निवृत्ति:। '''तद्भवमरणं''' भवांतरप्राप्त्यनंतरोपश्लिष्टं पूर्वभवविगमनम्।</span> = <span class="HindiText">प्रतिक्षण आयु आदि प्राणों का बराबर क्षय होते रहना '''नित्यमरण''' है (इसको ही भगवती आराधना व भावपाहुड़ में '''अवीचिमरण''' के नाम से कहा गया है)। और नूतन शरीर पर्याय को धारण करने के लिए पूर्व पर्याय का नष्ट होना '''तद्भवमरण''' है। </span> | |||
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Latest revision as of 16:26, 8 September 2023
राजवार्तिक/7/22/2/550/19 मरणं द्विविधम्–नित्यमरणं तद्भवमरणं चेति। = मरण दो प्रकार का है–नित्यमरण और तद्भवमरण।
राजवार्तिक/7/22/2/550/20 तत्र नित्यमरणं समयसमये स्वायुरादीनां निवृत्ति:। तद्भवमरणं भवांतरप्राप्त्यनंतरोपश्लिष्टं पूर्वभवविगमनम्। = प्रतिक्षण आयु आदि प्राणों का बराबर क्षय होते रहना नित्यमरण है (इसको ही भगवती आराधना व भावपाहुड़ में अवीचिमरण के नाम से कहा गया है)। और नूतन शरीर पर्याय को धारण करने के लिए पूर्व पर्याय का नष्ट होना तद्भवमरण है।
अधिक जानकारी के लिये देखें मरण - 1।