संन्यास मरण: Difference between revisions
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विशेष जानकारी के लिए देखें [[ सल्लेखना ]]। | <span class="HindiText">अतिवृद्ध या असाध्य रोगग्रस्त हो जाने पर, अथवा अप्रतिकार्य उपसर्ग आ पड़ने पर अथवा दुर्भिक्ष आदि के होने पर साधक साम्यभाव पूर्वक अंतरंग कषायों का सम्यक् प्रकार दमन करते हुए, भोजन आदि का त्याग करके, धीरे-धीरे शरीर को कृश करते हुए, इसका त्यागकर देते हैं। इसे ही <strong>सल्लेखना</strong> या <strong>समाधिमरण</strong> कहते हैं। </span><br/> | ||
<span class="HindiText"> विशेष जानकारी के लिए देखें [[ सल्लेखना ]]। </span> | |||
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Latest revision as of 10:58, 28 July 2023
अतिवृद्ध या असाध्य रोगग्रस्त हो जाने पर, अथवा अप्रतिकार्य उपसर्ग आ पड़ने पर अथवा दुर्भिक्ष आदि के होने पर साधक साम्यभाव पूर्वक अंतरंग कषायों का सम्यक् प्रकार दमन करते हुए, भोजन आदि का त्याग करके, धीरे-धीरे शरीर को कृश करते हुए, इसका त्यागकर देते हैं। इसे ही सल्लेखना या समाधिमरण कहते हैं।
विशेष जानकारी के लिए देखें सल्लेखना ।