सुधर्मा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) समवसरण की एक सभा। यह विजयदेव के भवन से उत्तरदिशा में स्थित है। यह छ: कोश लंबी, तीन कोश चौड़ी, नो कोश ऊँची और एक कोश गहरी है। इसके उत्तर में एक जिनालय है। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.417 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) समवसरण की एक सभा। यह विजयदेव के भवन से उत्तरदिशा में स्थित है। यह छ: कोश लंबी, तीन कोश चौड़ी, नो कोश ऊँची और एक कोश गहरी है। इसके उत्तर में एक जिनालय है। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#417|हरिवंशपुराण - 5.417]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) रथनूपुर नगर के राजा सहस्रार के पुत्र इंद्र को एक सभा। <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.1-2, 18, 28 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) रथनूपुर नगर के राजा सहस्रार के पुत्र इंद्र को एक सभा। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#1|पद्मपुराण - 7.1-2]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#18|पद्मपुराण - 7.18]], 28 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सौधर्म इंद्र की सभा। विशेष-देखें सौधर्म ।
पुराणकोष से
(1) समवसरण की एक सभा। यह विजयदेव के भवन से उत्तरदिशा में स्थित है। यह छ: कोश लंबी, तीन कोश चौड़ी, नो कोश ऊँची और एक कोश गहरी है। इसके उत्तर में एक जिनालय है। हरिवंशपुराण - 5.417
(2) रथनूपुर नगर के राजा सहस्रार के पुत्र इंद्र को एक सभा। पद्मपुराण - 7.1-2,पद्मपुराण - 7.18, 28