त्रिलोकमंडन: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(7 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
< | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<div class="HindiText"><span class="GRef"> पद्मपुराण/सर्ग/श्लोक</span> अपने पूर्व के मुनिभव में अपनी झूठी प्रशंसा को चुपचाप सुनने के फल से हाथी हुआ। रावण ने इसको मदमस्त अवस्था में पकड़कर इसका त्रिलोकमंडन नाम रखा ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_8#432|8. 432]] ) एक समय मुनियों से अणुव्रत ग्रहणकर चार वर्ष तक उग्र तप किया ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_87#1|87.1-6]] )। अंत में सल्लेखना धारण कर ब्रह्मोत्तर स्वर्ग में देव हुआ। ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_87#7|87. 7]] )। | |||
[[त्रिलोक | <noinclude> | ||
[[ त्रिलोक बिंदुसार | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category: | [[ त्रिलोकसार | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: त्र]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> इस नाम की एक हाथी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_8#432|पद्मपुराण -8. 432]] </span>देखें [[ त्रिलोकमंडन ]]</p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | |||
[[ त्रिलोक बिंदुसार | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ त्रिलोकसार | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: त्र]] | |||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/सर्ग/श्लोक अपने पूर्व के मुनिभव में अपनी झूठी प्रशंसा को चुपचाप सुनने के फल से हाथी हुआ। रावण ने इसको मदमस्त अवस्था में पकड़कर इसका त्रिलोकमंडन नाम रखा (8. 432 ) एक समय मुनियों से अणुव्रत ग्रहणकर चार वर्ष तक उग्र तप किया (87.1-6 )। अंत में सल्लेखना धारण कर ब्रह्मोत्तर स्वर्ग में देव हुआ। (87. 7 )।
पुराणकोष से
इस नाम की एक हाथी । पद्मपुराण -8. 432 देखें त्रिलोकमंडन