तद्भाव: Difference between revisions
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<p class="HindiText">= परस्पर प्रदेशों में अभेद होने पर भी जो यह संज्ञादि का भेद है वही उस पूर्वोक्त लक्षण रूप '''तद्भाव''' का अभाव या तदभाव कहा जाता है। उसी को अतद्भाव भी कहते हैं-संज्ञा लक्षण प्रयोजन आदि से भेद होना, ऐसा अर्थ है।</p> | <p class="HindiText">= परस्पर प्रदेशों में अभेद होने पर भी जो यह संज्ञादि का भेद है वही उस पूर्वोक्त लक्षण रूप '''तद्भाव''' का अभाव या तदभाव कहा जाता है। उसी को अतद्भाव भी कहते हैं-संज्ञा लक्षण प्रयोजन आदि से भेद होना, ऐसा अर्थ है।</p> | ||
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Latest revision as of 16:34, 8 September 2023
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति टीका / गाथा 107/149/2
परस्परं प्रदेशाभेषेऽपि योऽसौ संज्ञादिभेदः स तस्य पूर्वोक्तलक्षणतद्भावस्याभावस्तदभावो भण्यते।....अतद्भावः संज्ञालक्षणप्रयोजनादिभेद इति।
= परस्पर प्रदेशों में अभेद होने पर भी जो यह संज्ञादि का भेद है वही उस पूर्वोक्त लक्षण रूप तद्भाव का अभाव या तदभाव कहा जाता है। उसी को अतद्भाव भी कहते हैं-संज्ञा लक्षण प्रयोजन आदि से भेद होना, ऐसा अर्थ है।
अधिक जानकारी के लिये देखें अभाव ।