ग्रैवेयक: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) अहमिंद्र देवों की आवासभूमि । सोलह स्वर्गों के अग्र स्थित इस नाम के नौ पटल हैं । <span class="GRef"> महापुराण 49.9, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#167|पद्मपुराण - 105.167-170]], </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.150 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) अहमिंद्र देवों की आवासभूमि । सोलह स्वर्गों के अग्र स्थित इस नाम के नौ पटल हैं । <span class="GRef"> महापुराण 49.9, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#167|पद्मपुराण - 105.167-170]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#150|हरिवंशपुराण - 3.150]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
कल्पातीत स्वर्गों का एक भेद–देखें स्वर्ग_देव 1.4 ; स्वर्ग_देव 5.2 ।
राजवार्तिक/4/19/2/20 लोकपुरुषस्य ग्रीवास्थानीयत्वात् ग्रीवा:, ग्रीवासु भवानि ग्रैवेयकाणि विमानानि, तत्साहचर्यात् इंद्रा अपि ग्रैवेयका:।=लोक पुरुष के ग्रीवा की तरह ग्रैवेयक हैं। जो ग्रीवा में स्थित हों वे ग्रैवेयक विमान हैं। उनके साहचर्य से वहाँ के इंद्र भी ग्रैवेयक हैं।
पुराणकोष से
(1) अहमिंद्र देवों की आवासभूमि । सोलह स्वर्गों के अग्र स्थित इस नाम के नौ पटल हैं । महापुराण 49.9, पद्मपुराण - 105.167-170, हरिवंशपुराण - 3.150
(2) स्वर्ण-रत्नजटित कंठहार । महापुराण 29.167, हरिवंशपुराण - 11.13