मौखर्य: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> अनर्थदंडव्रत का तीसरा अतिचार-हास्यमिश्रित वचन बोलना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.179 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अनर्थदंडव्रत का तीसरा अतिचार-हास्यमिश्रित वचन बोलना । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_18#179|हरिवंशपुराण - 18.179]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/7/32/370/1 धाष्टर्यप्रायं यत्किंचनानर्थकं बहुप्रलापित्वं मौखर्यम्। = धीठता को लिये हुए निःसार कुछ भी बहुत बकवास करना मौखर्य है। ( राजवार्तिक/7/32/3/556/20 )।
पुराणकोष से
अनर्थदंडव्रत का तीसरा अतिचार-हास्यमिश्रित वचन बोलना । हरिवंशपुराण - 18.179