सुषमा-दु:षमा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> अवसर्पिणी का तीसरा काल । इसकी स्थिति दो कोड़ाकोड़ी सागर होती है । इस समय मनुष्यों की आयु एक पल्य शरीर की ऊँचाई एक कोश और वर्ण श्याम होता है । वे एक दिन के अंतर से आँवले के बराबर भोजन करते हैं । ज्योतिरंग जाति के कल्पवृक्षों का प्रकाश इस समय मंद हो जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 3.51-57, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#81|पद्मपुराण - 20.81]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.87, 98-100 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अवसर्पिणी का तीसरा काल । इसकी स्थिति दो कोड़ाकोड़ी सागर होती है । इस समय मनुष्यों की आयु एक पल्य शरीर की ऊँचाई एक कोश और वर्ण श्याम होता है । वे एक दिन के अंतर से आँवले के बराबर भोजन करते हैं । ज्योतिरंग जाति के कल्पवृक्षों का प्रकाश इस समय मंद हो जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 3.51-57, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#81|पद्मपुराण - 20.81]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.87, 98-100 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
अवसर्पिणी का तीसरा काल । इसकी स्थिति दो कोड़ाकोड़ी सागर होती है । इस समय मनुष्यों की आयु एक पल्य शरीर की ऊँचाई एक कोश और वर्ण श्याम होता है । वे एक दिन के अंतर से आँवले के बराबर भोजन करते हैं । ज्योतिरंग जाति के कल्पवृक्षों का प्रकाश इस समय मंद हो जाता है । महापुराण 3.51-57, पद्मपुराण - 20.81, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.87, 98-100