विस्तारासंख्यात: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">धवला पुस्तक 3/1,2,15/125/7</span> <span class="PrakritText">जं तं वित्थारासंखेज्जं तं लोगागासपदरं, लोगपदरागारपदेसगणणं पडुच्च संखाभावादो।</span><span class="HindiText">= प्रतर रूप लोकाकाश '''विस्तारासंख्यात''' है, क्योंकि, प्रतररूप लोकाकाश के प्रदेशों की गणना की अपेक्षा वे संख्यातीत हैं।</span> | |||
[[ | <p class="HindiText">देखें [[ असंख्यात ]]। </p> | ||
[[Category:व]] | <noinclude> | ||
[[ विस्तारसम्यक्त्व | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ विस्रसोपचय | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: व]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 14:27, 31 January 2023
धवला पुस्तक 3/1,2,15/125/7 जं तं वित्थारासंखेज्जं तं लोगागासपदरं, लोगपदरागारपदेसगणणं पडुच्च संखाभावादो।= प्रतर रूप लोकाकाश विस्तारासंख्यात है, क्योंकि, प्रतररूप लोकाकाश के प्रदेशों की गणना की अपेक्षा वे संख्यातीत हैं।
देखें असंख्यात ।